26 वाँ पश्चिम भारत राज्य स्तरीय विज्ञान मेला
किसी ने बायोगैस संयंत्र बनाया तो किसी ने समुद्र की लहरों से उर्जा उत्पादन का प्रोजेक्ट तैयार किया। कोई चलती हुई ट्रेन से उर्जा उत्पादन करने प्रोजेक्ट तैयार कर के आया तो किसी ने फ्यूज सीएफएल को मोबाईल की बैटरी से रोशन कर दिया। मौका था 26 वें पश्चिम भारत राज्य विज्ञान मेले का। इस स्पर्धा में प्रदेश के शहर सहित 7 जिलों से आए एक सैकड़ा से अधिक विद्यार्थियों ने पूरे उत्साह के साथ शिरकत की। विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए मॉडल्स इतने बेहतरीन थे कि निर्णायक भी हैरत में पड़ गए कि किसे चयनित किया जाए। राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान में मंगलवार को दो दिवसिय विज्ञान मेले का शुभारंभ किया गया। संस्थान संचालक दिनेश अवस्थी ने बताया कि इस मेले में प्रदेश के उभरते हुए कक्षा 8 से 12 वीं तक के भावि वैज्ञानिकों शिरकत की।
7 जिलों से आए प्रतिभागी
इस राज्य स्तरीय मेले में शहर के साथ भोपाल, छतरपुर, देवास, ग्वालियर, खंडवा, रीवा और उज्जैन से आए प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। अनेक जिलों से आए प्रतिभागियों में भोपाल से 24 , छतरपुर से 24, देवास से 15, ग्वालियर से 13, खंडवा से 18, रीवा से 6, उज्जैन से 20 और शहर से 18 प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए गए। इन प्रोजेक्टस में व्यक्तिगत प्रोजेक्ट, टीम प्रोजेक्ट, टीचर प्रोजेक्ट और मार्गदर्शक शिक्षकों के प्रोजेक्ट शामिल थे।
उर्जा में दिखाई दी ज्यादा रूचि
मेला प्रभारी सुसम्मा जोसम्मा ने बताया कि मेले में इस बार पिछले मेले के अपेक्षा प्रतिभागियों की संख्या में 20 फीसदी का इजाफा हुआ। उन्होंने बताया कि इन दिनों न्यूज चैनल्स, अखबारों के माध्यम से नई पीढ़ी के इन वैज्ञानिकों को भी लगातार उर्जा संकट की जानकारी मिल रही है। मेले में इस बार देखने में आया कि नई पीढ़ी भी उर्जा संकट को लेकर चिंतित है इस बार मॉडल्स में अधिकांश ऐसे मॉडल्स देखने मिले जिनमें विद्यार्थियों ने परंपरागत उर्जा स्त्रोतों के बजाए वैकल्पिक स्त्रोतों से उर्जा उत्पादन के विषय में अपने प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए। इनमें सौर उर्जा, समुद्री लहरों से उर्जा, पवन उर्जा, बायोगैस जैसे संयंत्र विशेष रूप से सराहनीय रहे। उन्होंने बताया कि बच्चों ने बताया कि उनके दिमाग में उर्जा संकट से देश को उबारने का विचार आया और इस विषय में प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए उन्होंने अपने शिक्षकों से मार्गदर्शन लिया।
हैरत में पड़े निर्णायक गण
इस मेले में प्रोजेक्ट्स को देख कर कुछ देर के लिए उत्कृष्ठ प्रोजेक्ट का निर्धारण करने आए 9 निर्णायक भी हैरत में पड़ गए। इस स्पर्धा में निर्णय करने के लिए सार्इंस कॉलेज के डॉ. अरुण शुक्ला, पूर्व प्राचार्य डाइट डॉ. टी.पी. सहाय, पूर्व प्राचार्य सार्इंस कॉलेज प्रोफेसर प्रभात मिश्रा, प्रोफेसर के.के. दुबे, सहायक शिक्षक जी.आर. साहू, डॉ. पवन शंकर तिवारी, डॉ संध्या अग्नि होत्री, डॉ. आर. ग्रोवर, डॉ. आर साहू, डॉ. आलोक शुक्ला एवं जेईसी के डा. एन.एस. टिटारे ने निर्णायक की अहम भूमिका निभाई। निर्णायकों ने बताया कि इस बार के कुछ प्रोजेक्ट्स देख वे मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि देश के भावि वैज्ञानिकों में भी देश को संकट से उबारने के लिए विचारधारा है।
संरक्षित करें जल
मैंने देखा कि बारिश के जल को संरक्षण करने के प्रति किसी का भी ध्यान नहीं है इसी बात को लेकर मैंने यह प्रोजेक्ट तैयार किया इस में रैन वॉटर हार्वेस्टिंग के विषय में बताया गया। मेरा सपना आइएएस अधिकारी बनने का का है।
सलोनी आर्य, लोकमान्य तिलक स्कूल, उज्जैन
समुद्री लहरों से बनाएं उर्जा
मैंने अपने प्रोजेक्ट में बताया है कि किस तरह सागर की लहरों से उर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। उर्जा के परंंपरागत स्त्रोतों के बजाय यदि इस दिशा में कार्य होता है तो हमें उर्जा संकट से काफी हद तक निजात मिल सकती है। देश में उड़ीसा, मुंबई, हैदराबाद, गुजरात सहित कई प्रदेशों के बंदरगाहों में यह परियोजना बनाई जा सकती है। मैं बड़ी होकर आइएएस अधिकारी बनना चाहती हूं।
राशिका जैन, शासकीय स्कूल निवास
गांवों का किया सर्वे
मैंने अपने प्रोजेक्ट बनाने से पहले मंडला जिले के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण भी किया और पाया कि किसी का भी ध्यान बायोगैस प्लांट से उर्जा उत्पादन की दिशा में नहीं है। अपने प्रोजेक्ट में मैंने बताया है कि किस तरह सोयाबीन और अन्य अनुपयोगी पदार्थों से किस तरह उर्जा उत्पादन किया जा सकता है। बड़ी होकर मैं इंजीनियर बनना चाहता हूं।
निरुपमा विश्वकर्मा, शासकीय कन्या शाला, मंडला
नहीं गंदा होगा रेलवे ट्रैक
मैंने अपने प्रोजेक्ट में चलती हुई ट्रेनों से विद्युत उत्पादन कर टेÑनों में विद्युत आपूर्ति देने का प्रोजेक्ट बनाया है इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट का महत्वपूर्ण अंग है टेÑनों के शौचालय जिन्हें बार-बार उद्घोषणा के बाद भी प्लेटफार्म पर प्रयोग किया जाता है। इस प्रोजेक्ट से मामूली से खर्च से गंदगी को रोका जा सकता है। बड़ी होकर मैं इंजीनियर बनना चाहता हूं।
रिजा खान, शासकीय कन्या शाला, मंडला