गुरुवार, फ़रवरी 12, 2009

कमबख्त जिन्दगी

बिल्कुल किसी दिल फैंक हसीना की तरह है
कमबख्त जिन्दगी है कि हाथ छोड़ती नही

कोशिश जरूर की पर अब लगने लगा मुश्किल
बेडिया है ये समाज की कि टूटती नही

बहुत देख चुके है और अब नहीं ख्वाहिश
चेहरे वही है पुराने कोई बदला कही नही

अब साथ में जो है तो कमबख्त यही है अच्छी
अब "जिन्दगी" है मेरी कोई और तो नहीं