धनतेरस पर ऐसा महसूस हुआ मानो शहर के बाजारों के लिए कुबेर ने अपने द्वार खोल दिए. सराफा, ऑटो मोबाइल, मोटर साईकिल, रेडीमेड गारमेंट, बर्तन, रियल एस्टेट और इलेक्ट्रोनिक आइटम्स पर इस कदर धन वर्षा हुई की व्यापारी भी हैरत मैं पद गए. शहर में गुरु पुष्य नछत्र में 55 करोड के कारोबार के बाद चन्द व्यापारियों को धनतेरस पर अधिक व्यापार न होने की आशंका थी. जिसे त्यौहार के वक्त सुबह से रात तक अनवरत हो रही ग्राहकी ने निराधार साबित कर दिया. व्यापारियों की 75 से 80 करोड रुपये की बिकवाली की
उम्मीद को दुगना करते हुए धनतेरस के दिन बाजार मैं करीब डेढ़ सो करोड़ रुपये की धन वर्षा हुई. सराफा मैं करीब 45 करोड , ऑटो मोबाइल में 25 करोड , मोटर साईकिल में 10, रेडीमेड गारमेंट में 15, बर्तन में 10, रियल एस्टेट 15 और इलेक्ट्रोनिक आइटम्स लगभग 30 करोड़ के कारोबार के आंकड़े व्यापारिक सूत्रों से मिले.जबलपुर नगर जो की कुल आबादी के सापेक्ष ये व्यवसायिक आंकड़े बेशक बेहद आश्चर्य जनक रहे उसका मूल कारण था केंद्रीय कर्मचार्यों को मिलने वाला बोनस,वेतन में आए बदलाव, ऋण की सरल उपलब्धता, निजी-व्यवसायिक गतिविधियों से आय में वृद्धि, ग्रामीण-क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में वृद्धि, यानी कुल मिला कर "आम आदमी की क्रय-शक्ति में इज़ाफ़ा"
यह आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता था अगर राज्य-सरकार के कर्मचारियों को बोनस के समरूप कुछ मिल पाता.