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शनिवार, अक्तूबर 22, 2011

शहीद अशफाक उल्ला खान जिंदाबाद

शहीद अशफाक उल्ला खान 


 आज ही के दिन 22 अक्टूबर 1900 को आजादी के रणबांकुरे और भारत माता के सपूत अशफाक का जन्म हुआ. आज के आधुनिकता के दौर मैं नइ पीढ़ी आजाद हवा मैं सांस तो लेना चाहती है पर उन योद्धाओ के योगदान को याद करने वक्त नहीं निकल पाती. सारा दिन इस इंतजार मैं था कि कोई तो उन्हें याद करता मिले.  अशफाक को महज 27 कि उम्र मैं 19 दिसम्बर 1927  को फंसी दे दी गई.  देश की बेहतरी के लिए राम प्रसाद बिस्मिल के साथ उन्होंने काफी संघर्ष किया.  दोनों अच्छे दोस्त और शायर भी. रामप्रसाद जहाँ बिस्मिल के तखल्लुस से लिखते वहीँ अशफाक हसरत के. अशफाक का जन्म शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश मैं हुआ. उनके पिता, शफीक उल्लाह खान पठान और  माँ का नाम मज्हूरउन निशा बेगम था. अशफाक 4 भाइयों में सबसे छोटे थे. उनके बड़े भाई रियासत उल्लाह खान पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के क्लासमेट थे.
हुई बिस्मिल से दोस्ती 
जब मोहनदास लालकृष्ण गांधी ने चौरी चौरा की घटना के बाद 1922 में असहयोग आंदोलन वापस लिया तो कई भारतीय युवक उदास हो गए, अशफाक भी उनमें से एक थे. इन युवको का सोचना था कि आजादी के लिए क्रांति जरुरी है. दोनों की दोस्ती को तब से अब तक कोमी एकता की मिसाल माना जाता है. 
काकोरी  ट्रेन डकैती
क्रांतिकारियों का मानना कि नरमी से आजादी हासिल नहीं कि जा सकती और गोरे अंग्रेजो को डरना है तो हथियारों कि जरुरत होगी. नए क्रांतिकारी आंदोलन के लिए पैसो कि जरुरत थी जिसके लिए काकोरी ट्रेन डकेती कि योजना बने गई. 9 अगस्त 1925  अशफाक उल्ला खान और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व के तहत आठ अन्य क्रांतिकारियों ट्रेन लूटी . उनके साथ में वाराणसी से राजेंद्र लाहिड़ी, बंगाल से सचिन्द्र  नाथ बख्शी, उन्नाव से चंद्रशेखर आजाद, कलकत्ता से केशब  चक्रवोर्ति , रायबरेली से बनवारी लाल, इटावा से मुकुन्दी लाल, बनारस से मन्मथ नाथ गुप्ता और शाहजहाँपुर से मुरारी लाल थे. 26 सितम्बर 1925 सितंबर को बिस्मिल और अशफाक को ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. दोनों को अलग अलग जेलों मैं एक ही दिन फंसी दी गई.
अशफाक की  डायरी से
"किये थे काम हमने भी जो कुछ भी हमसे बन पाये, ये बातें तब की हैं आज़ाद थे और था शबाब अपना;
मगर अब तो जो कुछ भी हैं उम्मीदें बस वो तुमसे हैं, जबाँ तुम हो लबे - बाम आ चुका है आफताब अपना ".
शहीद अशफाक उल्ला खान  जिंदाबाद 
शहीद अशफाक उल्ला खान  जिंदाबाद 
नितिन पटेल