शनिवार, नवंबर 30, 2013

अदालतों से बीस फीसदी बोझ हुआ कम








मप्र की नेशनल लोक अदालत ने देश में रचा कीर्तिमान

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एक नजर में
नेशनल अदालत में 19 लाख 9 हजार 676 प्रकरण निराकृत
अवार्ड- 6 अरब 1 करोड़ 26 लाख 215 रुपये
मेगा वृहद लोक अदालत में (आवेदनी प्रकरण) 28 लाख 43 हजार 261 प्रकरण निराकृत
अवार्ड-2 अरब 85 करोड़ 2 लाख 24 हजार 571 रुपये

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जबलपुर। प्रदेश में आयोजित नेशनल मेगा लोक अदालत ने देश में नया कीर्तिमान रचते हुए लाखों प्रकरणों का निराकरण किया। जिससे प्रदेश की अदालता से बीस फीसदी लंबित मामलो का बोझ कम किया है। नेशनल लोक अदालत में जहां 8.30 बजे तक 19 लाख 9 हजार 676 प्रकरण निराकृत कर छ: अरब एक करोड़ 26 लाख 215 रुपये का अवार्ड पारित किया गया। वहीं मेगा अदालत में आवदेनी मामलो का करीब 28 लाख प्रकरण निराकृत किये गये। उक्ताशय की जानकारी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस केके लाहोटी ने पत्रवार्ता में दी।
उन्होंने बताया कि 23 नवंबर को देश में संपन्न हुई नेशनल लोक अदालत में जहां 27 लाख प्रकरणों का निराकरण किया गया तो वहीं मप्र में ही अकेले 19 लाख से अधिक लंबित मामलो का निराकरण हुआ। जिसमें प्रीलिटिगेशन के मामले भी शामिल है। जस्टिस श्री लाहोटी ने जानकारी देते हुए बताया कि मप्र हाईकोर्ट में 1 नवंबर तक लंबित मामलो की संख्या 12 लाख 17 हजार थी, जो कि अब करीब 10 लाख ही बची है, क्योकि नेशनल लोक अदालत में हाईकोर्ट के दो लाख से अधिक मामलो का निराकरण किया गया। जस्टिस श्री लाहोटी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य पीठ सहित इंदौर व ग्वालियर पीठ में 4520 प्रकरण निराकृत कर 9 करोड़ 24 लाख 28 हजार रुपये का अवार्ड पारित किया गया। जिससे 11 हजार 587 पक्षकार लाभान्वित हुए। वहीं 50 जिला व 148 तहसील न्यायाल में 19 लाख 9 हजार 676 प्रकरणों का आपसी समझौते से निराकरण हुआ। जिसमें छ: अरब से ज्यादा की अवार्ड राशि पारित की गई। जहां 40 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए। इसके साथ ही पक्षकारों को वन विभाग की ओर से पौधा वितरित किये गये।
मामला निपटा कोर्ट फीस वापिस-
राष्टÑीय लोक अदालत की पीठों में पारित कर प्रभाव कोर्ट द्वारा पारित डिक्री जैसा की इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि लोक अदालत के फैसले को फिर किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती साथ ही साथ यदि पक्षकार ने इस मामले के सिलसिले में जो कोर्ट फीस जमा की होगी वह भी वापिस मिल जाएगी।
बीएसएनएल में लगा मेला-
लोक अदालत में समझौता करके प्रकरण निपटाने के लिए बीएसएनएल के कार्यालय में भी आज मेला भरा। दूरभाष देयकों के लंबित 14462 मामले यहां आयोजित लोक अदालत में प्रस्तुत किए गए। आपदा प्रबंधन वित्त एवं लेखा एसवी सिंह, लेखाधिकारी पीसी मेहरा, कनिष्ठ लेखाधिकारी विवेक तिवारी की लोक अदालत पीठ में अपरान्त तक ही लगभग 5 हजार प्रकरणों में समझौता हो गया। इसके पूर्व भी तकरीबन 1500 उपभोक्ताओं ने देयकों का भुगतान कर दिया। सुनवाई के दौरान बीएसएनएल के पीके पाण्डे, पीएम पाटकर, एचएस पटेल व आरके साव ने भी प्रकरणों के निराकरण में सहयोग किया।
एमपी पैटर्न अब देश भर में-
मप्र उच्च न्यायालय ने ही सबसे पहले लोक अदालत को नये आयाम दिए। न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों के साथ उन सब सेवाओं को भी लोक अदालत के दायरे में लाया गया। जिसके लिए आम नागरिक बेवजह परेशान होता है। इनमें राशन कार्ड जारी करने से लेकर विद्युत देयकों का निपटारा, भवन निर्माण के लिए नक्शा स्वीकृति से लेकर राजस्व न्यायालयों में सीमांकन, नामान्तरण विभिन्न प्रमाणपत्र जारी करने के मामले भी शामिल किए गए। इस बार आयोजित मेगा लोक अदालतों ने नया रिकार्ड बनाया है।
सभी विवादों का समाधान-
लोक अदालत में सिविल, आपराधिक, चेक बाउंस, विद्युत अधिनियम, मोटर दुर्घटना दावा, वैवाहिक, भरण पोषण परिवार न्यायालय,  ग्राम न्यायालय श्रम प्रकरण, आयकर विक्रयकर, रेलवे क्लेम्स, सर्विस मेटर, सहकारिता, बैंक प्रकरण उपभोक्ता फोरम, राजस्व, नगर निगम से संबंधित सभी प्रकरणों की सुनवाई हुई।
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केस-1
सैर-सपाटा न कराने से टूट रहा था रिश्ता- हाईकोर्ट की लोक अदालत में एक ऐसा मामला आया जहां पत्ति अपने पति इस कारण नाराज ाी कि उसका पति उसे सैर-सपाटे के लिये घूमाने नहीं ले जाता। लोक अदालत में श्रीमती रानी व उससे नाराज पति आशीष के बीच सुलह हुई। जिसके बाद पक्षकारों ने करीब चार किलो मिठाई वितरित कर अपनी खुशी का इजहार किया।

केस-2
विधिक सेवा की पहल पर निपटा चैक बाउंस का मामला- चैक बाउंस के मामले में मजिस्टेÑट कोर्ट में समझौता न होने के बाद एडीजे कोर्ट में चैक रकम का दस प्रतिशत, हाईकोर्ट में 15 प्रतिशत व सुको में 20 प्रतिशत की राशि जमा करने के प्रावधान के कारण लंबित रहने के मामले में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण विरुद्व प्रतीक जैन के मामले में सुको के न्याय   दृष्टांत ने राहत पहुंचायी। जिसके कारण वर्षो से लंबित भोपाल के दो व्यवसायियों के 18 लाख रुपये का चैक बाउंस के मामले का पटाक्षेप जस्टिस जीएस सोलंकी व अधिवक्ता समीर सेठ की पीठ के समक्ष हुआ।

केस-3
आखिर नही हुआ समझौता- लोक अदालत में एक ऐसा प्रकरण भी आया,
 जिसमें कि पत्नि के भक्ति में लीन होने के चलते पति हार गया। पीठ की समझाइश पत्नि की जिद में आखिरकार सभी को निराशा लगी। क्योकि पत्नी पूरे समय ही मॉ दुर्गा का नाम लेकर हर बात का निराकरण किये जाने की बात कहती रही, 20 मिनिट के अंतराल में भी उक्त 40 वर्षीय महिला द्वारा मॉ दुर्गा का नाम लेती रही और किसी की बात न सुनी।

सुबह से ही लगी न्याय मंदिर में पक्षकारों की भीड़
 मुख्यालय स्थित न्यायालयों सहित तहसील के न्यायालयों में ही आज पूर्वान्ह बेला से पहले ही पक्षकारों व न्यायिक कर्मियों की हलचल शुरू हो गई। पूरे देश में राष्टÑीय लोक अदालतें 23 नवम्बर को लगीं थीं परंतु मप्र में विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए राष्टÑीय लोक अदालत का आयोजन आज 30 नवम्बर को किया गया।
शनिवार पूर्वान्ह 10.30 बजे उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर प्रशासनिक न्यायाधीश कृष्ण कुमार लाहोटी ने जिला न्यायालय में जिला एवं सत्र न्यायाधीश भरत पी माहेश्वरी जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक गुप्ता ने राष्टÑपिता महात्मा गांधी के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर देश की पहली राष्टÑीय लोक अदालत का शुभारंभ किया। लोक अदालत में जाने वाले पहले तो गंभीर मुद्रा में दिखाई दिए परंतु समझौता होते ही उनके चेहरे खिल गए। लोक अदालत पीठों में सुनवाई के पहले ही समझौता करके मामला निपटाने आए वहीं पक्षकार एक-दूसरे की मान मनौव्वल करते नजर आए। उच्च न्यायालय की पीठों में हजारों की तादाद में मामलों का निराकरण हुआ और इसके साथ ही आपसी सहमति से निराकृत हुए मामलो में पक्षकारों को पौधे भेंट किये गये।


ननि मेगा लोक अदालत में एक हजार से अधिक करदाता लाभांवित
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मध्यप्रदेश शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय के निर्देशानुसार नगर निगम के सभी संभागीय कार्यालयों में आयोजित मेगा लोक अदालत में एक हजार से अधिक करदाता लाभांवित हुए। इन करदाताओं द्वारा संध्या 7 बजे तक 90 लाख रूपये से अधिक की राशि जमा की गयी। इस प्रकार निगम खजाने में 90 लाख रूपये की आय एक दिन में जमा हुई। मेगा लोक अदालत आयोजन के दौरान निगमायुक्त वेदप्रकाश द्वारा संभागों में जाकर संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली गयी और अधिक से अधिक करदाताओं को राहत पहुंचाने के निर्देश प्रदान किये गये। निगमायुक्त द्वारा मौके पर अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि मेगा लोक अदालत में आने वाले हितग्राही एवं करदाताओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो वे आसानी से बकाया करों की राशि जमा कर इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें। इस बात का विशेष ध्यान रखा जावे। लोक अदालत में 821 करदाता सम्पत्तिकर के तथा 117 करदाता जलकर की राशि जमा करने पहुंचे। वहीं 70 भवन नामांतरण के प्रकरण, 80 कर आपत्ती के प्रकरण, 2 नवीन नल कनेक्शन के साथ ही अन्य सुविधाओं के लिए लगभग 50 से अधिक हितग्राहियों द्वारा भाग लिया जाकर मेगा लोक अदालत में प्रकरणों का निराकरण कराया गया। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार राष्टÑीय मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषकर करदाताओं को अधिभार में छूट देने का प्रावधान रखा गया था। जिसका भरपूर लाभ आज हितग्राहियों एवं करदाताओं  द्वारा उठाया गया। इस दौरान नगर निगम के अपर आयुक्त व्ही व्ही एस गहरवार, एम.पी. सिंह, के साथ ही उपायुक्त परमेश जलोटे, राहुल सिंह, अंजू ठाकुर, प्रभारी उपायुक्त डी.के. चौबे, राजस्व अधिकारी दीप नारायण मिश्रा तथा सभी संभागीय अधिकारियों की भूमिका सराहनीय रही।

केंद्रीय जेल में लगी लोक अदालत
नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल जबलपुर में कार्यपालक अध्यक्ष राष्टÑीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के राष्टÑीय लोक अदालत हेतु 3 पीठों क्रमश: दिनेश मिश्रा रेल्वे मजिस्ट्रेट, कमलेश सनोदिया जेएमएफसी एवं मुकेशसिंह चौहान जेएमएफसी का गठन कर लोक अदालत आयोजित की गई। जिसमें 44 प्रकरणों का निराकरण किया गया। कार्यक्रम में अखिलेश तोमर जेल अधीक्षक, यूपी सिंह विधि अधिकारी, एएस सेंग, हुकुम सिंह आर्मो, रविशंकर सिंह उप जेल अधीक्षक, शिवपाल सिंह सहायक जेल अधीक्षक, एसएस नेगी, रामनाथ सिंह तोमर, राहुल चौरसिया, ओमप्रकाश दुबे, संदीप खरे, मदन लाल रैकवार तथा राजकुमार ने सहयोग प्रदान किया।


शासकीय निकायों में 25 हजार से अधिक प्रकरण निराकृत
शहर कलेक्ट्रेट कार्यालय सहित अन्य शासकीय निकायों में शनिवार को मेगा लोक अदालत में 25 हजार 595 प्रकरण शामिल हुए। इनमें अपर कलेक्टर प्रथम के समक्ष 15, अपर कलेक्टर द्वितीय के समक्ष 8, एसडीएम   जबलपुर के समक्ष 3430, एसडीएम कुंडम के समक्ष 496, एसडीएम सिहोरा के पास 2090, एसडीएम ओमती के पास 340, एसडीएम कोतवाली के पास 1113, एसडीएम गोरखपुर के समक्ष 1221, एसडीएम रांझी के समक्ष 2515, अधीक्षक भू-अभिलेख के समक्ष 15, जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के समक्ष 294, संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय के समक्ष 1370, अपर संचालक उच्च शिक्षा जबलपुर के समक्ष 2855, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के समक्ष  672 एवं उपसंचालक कृषि के समक्ष एक प्रकरण आया। इन न्यायालय में  6062 राजस्व संबंधी प्रकरण, 5811 दांडिक एवं 14722 अन्य मामलों के प्रकरण आए।

एसपी कार्यालय में पारिवारिक विवादों का हुआ समाधान
    पुलिस अधीक्षक कार्यालय जबलपुर मे पुलिस अधीक्षक हरिनारायणाचारी मिश्र, के मार्गदर्शन में शनिवार को एएसपी (पश्चिम) सिद्धार्थ बहुगुणा की उपस्थिति में पारिवारिक विवादों के समाधान हेतु लोक अदालत का आयोजित की गयी। पहली बार म0प्र0 विधिक सहायता प्राधिकरण ने पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र को पारिवारिक/वैवाहिक विवादों, घरेलू हिंसा, सम्बंधी प्रकरणो के समाधान हेतु अधिकृत किया था, 3 न्यायपीठो के समक्ष 300 प्रकरणों को आपसी सहमती से समझौते हेतु सूचनापत्र प्रेषित किये गये थे, अथक प्रयासो के उपरांत 102 पारिवारिक विवादो का परस्पर सहमती से समाधान हो गया। बहुत बडी संख्या में पक्षकारो ने नेशनल लोक अदालत में लंबित प्रकरणो के समाधान में सहयोग दिया। न्यायपीठों में अंशुमान शुक्ला, प्रो0 हरि भटनागर, शांति बावरिया,गीता श्रीवास्तव , कर्नल आर. एस. मल्होत्रा, कर्नल आर.के. गोपाल, प्रदीप ड्योढिया, महिला थाना प्रभारी लक्ष्मी यादव, डाक्टर योगिता राउते,  सुनीता पंच, संध्या मरावी, जयंती झारिया, ने निराकरण में योगदान दिया। वैवाहिक विवाद सम्बंधी 2 प्रकरणों में पक्षकारो का आपसी सहमति से समझौता उपरांत विवाह का पंजीयन कराने की सलाह दी गयी। छोटे बच्चो ने अपने माता पिता के विवादो के निराकरण में अहम भूमिका निभाई। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में सफलता पूर्वक प्रथम बार आयोजन के लिये पुलिस अधीक्षक जबलपुर, हरिनारायणाचारी मिश्र, ने सभी को बधाई दी।


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