शहर लग तो रहा है कि अनलॉक हो गया लेकिन जिस तरह से सघन बाजारों को जबरन बंद कराने प्रशासन कवायद में जुटा है उससे लगता नहीं कि लॉकडाउन हटा है। हालांकि सड़कों पर ठीक उसी तरह का माहौल नजर आ रहा है मानों जेल के गेट खोल देने के बाद कैदी बाहर दौड़ लगा दें। अब इस दौड़ में कोरोना प्रोटोकॉल का कोई किस तरह ध्यान रख सकता है। जिले के शीर्ष प्रशासनिक कार्यालयों में बैठे अधिकारी सिर्फ कागज के मैप पर लॉक और अनलॉक के नियम कायदे बनाकर अधीनस्थों को मोर्चे पर छोड़ तो देते हैं लेकिन बाद में समझ आता है कि जमीनी स्तर पर पता कर लेते तो बेहतर होता। शहर के कोतवाली, फुहारा, गल्ला मंडी के व्यापारी अनलॉक के बाद १ जून को जब दुकानें खोल रहे थे तो पुलिसिया खौफ दिखाकर जबरन दुकानें यह कहकर बंद करा दी गईं की बाजार सघन है कोरोना फैलने का खतरा है। व्यापारियों का असंतोष देख मौके पर मौजूद पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के पसीने छूट गए। व्यापारियों ने कलेक्टर से मिलने की बात तो कही तो बीती रात तक वे समयाभाव की बात करते रहे। व्यापारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने दो टूक जब यह बात कह दी कि २ जून को बाजार खुलेगा तो फिर कलेक्टर को व्यापारियों का एकता का आभास हुआ। आनन फानन में सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से कलेक्टर ने समझाईश देने का प्रयास किया लेकिन तब तक तीर कमान से निकल चुका था। बुधवार को व्यापारियों ने डंके की चोट पर आधी शटर खोलकर प्रशासन का प्रतिकात्मक विरोध किया। दुकानें बंद कराने पहुंचे प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को दो टूक कह दिया गया कि व्यापारियों को या तो उनके नुकसान की भरपाई करें या प्रतिकात्मक तौर पर दुकानें खुली रहने दी जाएं। अधिकारी भी अपना सा मुंह लेकर लौट गए।
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बुधवार, जून 02, 2021
५२ दिनों बाद अनलॉक हुआ शहर लगता है अब भी बेडिय़ों से जकड़े हैं
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