मंगलवार, नवंबर 05, 2013

आसमां थे मगर सिर झुकाए चलते थे


विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी की हृदयाघात से हुई मृत्यु, ग्वारीघाट में हुआ अंतिम संस्कार, सीएम सहित अनेक नेता हुए शामिल


शहर के लोगों के लिए वे उनके प्रिय दादा थे, बच्चे ही नहीं बड़े भी उन्हें प्यार से दादा कहते थे, समर्थक ही नहीं विरोधी भी उन्हें विधान पुरुष कहते थे। उन्के विषय में सभी का एक ही मत था कि विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी  ‘आसमां थे मगर सिर झुकाए चलते थे’संस्कारधानी ने मंगलवार को वो जननेता खो दिया जो लगातार इतिहास बनाते जा रहा था। उस शक्स की ताकत का लोहा समर्थक ही नहीं बल्कि विरोधी भी मानते थे। इस ताकत का भी उन्हें कभी घमंड नहीं रहा वास्तव में वे आसमान थे लेकिन फलदार वृक्ष की भांति इस तरह विनम्रता से सिर झुकाए चलते थे कि वे एक मिसाल बना गए। इस एतेहासिक पुरुष की स्मृतियां चिरकाल तक हमारे जहन में रहेंगी। वे जो कर गए उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कुछ बात तो थी उनमें जो उनके जीवित रहते ही नहीं मृत्यु के बाद भी लोगों की स्मृति में वे अमिट छाप छोड़ गए। दादा को सलाम।
शहर के लोकप्रिय ‘दादा’ और विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी का मंगलवार सुबह निधन हो गया। कल रात से ही वे थोड़ी अस्वस्थता महसूस कर रहे थे। यही वजह थी कि मंलवार सुबह न तो वे रोज की तरह मॉर्निंग वॉक पर निकले न हीं योगा के बाद लोगों से मुलाकात कर पाए। सुबह करीब 11 बजे स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ने लगा। करीब सवा 11 बजे उन्होंने परिजनो के साथ अस्पताल जाने का मन बनाया लेकिन करीब 11 बजकर 20 मिनट पर आए हृदयाघात से उनकी सिविल लार्इंस स्थित निवास पर ही मौत हो गई। परिजन उन्हें तत्काल जबलपुर अस्पताल लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम के जरिए कार्डियक मसाज देकर चिकित्सकों ने दोबारा सांसे लौटने का भी प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो पाए। इसके पूर्व भी उन्हें दो बार अटैक आ चुके थे और यह तीसरा अटैक था।
श्री रोहाणी के निधन से कैंट विधानसभा के साथ शहर एवं पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। विधानसभा अध्यक्ष शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश के कद्दावर नेता थे। उनके निधन पर दो दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया। ग्वारीघाट श्मशानघाट  में शाम पांच बजे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। श्री रोहाणी के अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अनेक भाजपा एवं कांग्रेस नेता शामिल हुए। उन्हें मुखाग्नि बेटे अशोक रोहाणी ने दी। अंतिम संस्कार में स्वामी रामदास महाराज, स्वामी अखिलेश्वरानंद, सांसद राकेश सिंह, विधायक अजय विश्नोई, शरद जैन, भाजपा नगर अध्यक्ष विनोद मिश्रा, मेडिकल विवि के कुलपति डॉ. डीपी लोकवानी, डॉ. जितेंद्र जामदार, कांग्रेस नेता तरुण भनोत, संजय यादव, नगर निगम अध्यक्ष राजेश मिश्रा, कलेक्टर विवेक पोरवाल, डीआईजी मकरंद देउस्कर, अपर कलेक्टर छोटे सिंह सहित भाजपा कांग्रेस के अनेक नेता, परिजनों के साथ सैकड़ों कार्यकर्ता एवं समर्थकों के साथ हजारों की तादात में आम नागरिक मौजूद थे।
संघ से की थी शुरुआत
श्री रोहाणी बाल्यावस्था से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा 1965 में भारतीय जनसंघ के गलगला वाड के सदस्य के रूप में प्रारंभ हुई। वर्ष 1973 में भारतीय जनसंघ की ओर से वे जबलपुर नगर निगम के वरिष्ठ पार्षद निर्वाचित हुए। पार्षद का चुनाव जीत कर चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले रोहाणी कैंट विधानसभा से वर्ष 1993 से लगातार चार बार विधायक चुने गए। इस बार भी भाजपा ने फिर उन्हें जबलपुर कैंट से
प्रत्याशी बनाया था। अपनी सक्रियता के चलते उन्होंने इस क्षेत्र को भाजपा के गढ़ के तौर पर स्थापित किया। 67 वर्षीय रोहाणी दिग्विजय सिंह सरकार के दौरान विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे, भाजपा सरकार बनने के बाद बीते
दस साल से वे विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे थे। उनके निधन की खबर से भाजपा सदमे में है।

अद्भुद था व्यक्तित्व
श्री रोहाणी एक जननेता होने के साथ ही अद्भुद व्यक्तिव के धनी थे। परिजनों और समर्थकों से मिली जानकारी के अनुसार पहले हृदयाघात के बाद ही चिकित्सकों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने का सुझाव दिया था लेकिन लोकहित के लिए उन्होंने कभी अपने स्वास्थ्य की परवाह नहीं की। श्री रोहाणी अपनी नियमित दिनचर्या मॉर्निंग वॉक और योग से अपने स्वास्थ्य को बेहतर करने जुटे रहते थे। वे लंबे समय तक अस्पताल में रहकर लोगों से दूरियां नहीं बढ़ाना चाहते थे। दैनिक दिनचर्या में ही लोगों के लिए हर रोज वक्त निर्धारित रहता था। वे सुबह साढ़े 6 बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकल जाते। वहां से लौटकर करीब 8 बजे से लोगों से घर पर ही मुलाकात करने में जुट जाते इसी दौरान वे चाय  भी पीते। स्नान के बाद वे अपने अस्थाई कार्यालय पहुंच जाते और दिनभर जनता  और समर्थकों के बीच ही बिताते। नियम- प्रकिया के साथ ही परंपराओं के आधार पर उन्होंने जिस तरह विधानसभा चलाई उसके चलते मध्यप्रदेश विधानसभा को आदर्श माना जाता है। सदन से दो सदस्यों की सदस्यता समाप्त होने और फिर उनकी बहाली जैसे कुछ मौकों पर उन्होंने नई परंपरा भी डाली। पार्टी के लोग ही नहीं दूसरे दलों के लोग भी उनकी शैली के कायल थे।

्नपार्षद से शुरु किया सफर
मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से जुड़े श्री रोहाणी ने विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपने संसदीय ज्ञान, वाकपटुता, हाजिरजवाबी से संसदीय गरिमा में वृद्धि की। उनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधानसभा की गिनती ऐसी विधानसभाओं में होने लगी, जहां आम सहमति से कार्य संपादित होते रहे। लोकतांत्रिक व्यवस्था में विधानसभा में तनाव के क्षण आते ही रहते हैं और अनेक ऐसे मुद्दे होते हैं जिन पर बहुतगरमा-गरमी हो जाती है। ऐसे नाजुक क्षण में सदन का संचालन बिना तनाव लिये और बिना तनाव दिये करना बहुतकुशलता की बात है। श्री रोहाणी ने अपने इस गुण का बखूबी परिचय दिया और सभी राजनीतिक दलों के विधायक श्री रोहाणी की कार्यकुशलता और सहजता के कायल रहे। सार्वजनिक जीवन के लगभग 4 दशक पूरा करने वाले श्री ईश्वरदास रोहाणी के मन में हमेशा आम आदमी की पीड़ा रही। विधानसभा की कार्यवाही के संचालन के दौरान अनेक मौकों पर इसकी झलक देखने को मिली। वेआम आदमी से जुड़े मुद्दों को उठाने वाले विधायकों को सहयोग करने में श्री रोहाणी का सार्वजनिक जीवन ऐसा है कि वे युवाओं के लिये प्रेरणा-स्रोत बने। 30 जून, 1946 कोअविभाजित भारत के प्रमुख नगर कराची में जन्में श्री ईश्वरदास रोहाणी का गहरा नाता संस्कारधानी जबलपुर से रहा है। श्री रोहाणी के परिजन ने देश के विभाजन की पीड़ा को भोगा है। हालांकि श्री रोहाणी के परिजन जब भारत आये, तो उनकी उम्र मात्र एक वर्ष थी। उन्होंने अपने परिवार की पीड़ा को अपने पिताजी और बुजुर्गों से सुना। इसी पीड़ा ने उनके मन में सार्वजनिक जीवन में आने की प्रेरणा दी। श्री रोहाणी युवा अवस्था तक आते-आते भारतीय जनसंघ एवं राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत में जबलपुर की पानी, सड़क, बिजली जैसी मूलभूतसमस्याओं को सार्वजनिक मंचों पर निर्भीकता से उठाया। वे पार्षद से लेकर विधायक और फिर संवैधानिक विधानसभाअध्यक्ष के पद तक पहुंचे। उन्होंने राजनीति में आम आदमी के दर्द को हर-स्तर पर देखा और समझा। इन्हीं सब परिस्थितियों ने उन्हें कुशल वक्ता भी बनाया।

संक्षिप्त परिचय
नाम: ईश्वरदास रोहाणी
निर्वाचन क्षेत्र : जबलपुर केंटोंमेंट (99)
पिता का नाम : स्व. श्री चन्दूमल रोहाणी
जन्म तिथि: 30 जून 1946
जन्म स्थान: कराची (पाकिस्तान)
पत्नी का नाम : श्रीमती माया देवी रोहाणी, दो बेटे अशोक एवं विजय रोहाणी
और चार पुत्रियां
शैक्षणिक योग्यता: बीकॉम, एमएलबी
व्यवसाय : मुद्रण
अभिरूचि: अध्ययन, पीड़ित मानवता की सेवा

सार्वजनिक एवं राजनीतिक जीवन का संक्षिप्त विकास क्रम
बाल्यावस्था से राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक।
राजनैतिक यात्रा सन 1965 में भारतीय
जनसंघ के गलगला वार्ड के सदस्य के
रूप में प्रारम्भ की।
सन 1973 में भारतीय जनसंघ की और
से जबलपुर नगर निगम में पार्षद
निर्वाचित।
भूमिगत रहकर 14 नवंबर 1975 को
जबलपुर में आपातकाल में विरूद्ध प्रथम
आंदोलन का नेतृत्व किया।
आपातकाल की समाप्ति तक 19 महिने
जेल में निरूद्ध रहे।
जन समस्याओं के निराकरण के लिए कई बार
जेल यात्राएं की।
सन 1979 में तिलक वार्ड से निगम के लिए पुन
पार्षद निर्वाचित तथा नगर निगम में तत्कालीन
जनता पार्टी के नेता
भारतीय जनता पार्टी के दो बार जिला महामंत्री
तथा भाजपा के जिलाध्यक्ष एवं भाजपा के
प्रदेश मंत्री।
जबलपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष।
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय
जबलपुर की विद्वत परिषद के
सदस्य निर्वाचित।
भाजपा नगर निगम एवं नगर
पालिका मोर्चा के प्रदेश
प्रभारी तथा भाजपा के
जबलपुर संभाग प्रभारी।
सन 1991 में निजी डेरी मालिकों
द्वारा दूध के भावों में की गई वृद्धि
के खिलाफ 72 घटों का तथा
अनुसूचित जाति की बस्त्यिों में
पेयजल व्यवस्था के लिए चार
दिन तक अनशन।
सन 1993 में प्रथम बार
दशम विधान सभा के सदस्य
निर्वाचित एवं भाजपा विधायक दल के
सचेतक रहे।
सन 1999 से 5 दिसंबर, 2003 तक
उपाध्यक्ष, मध्यप्रदेश विधान सभा रहे।
यूनाईटेड किंगडम, फ्रांस, इटली, जर्मनी,
आस्ट्रिया, बैल्जियम, नीदरलैंड,
स्विट्जरलैंड, फिजी, साउथ अफ्रीका,
हॉगकॉग, चीन, जापान, नाईजीरिया,
आस्टेÑलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर एवं
पाकिस्तान की यात्रा।
सन 2003 में बारवहीं विधानसभा के सदस्य
निर्वाचित एवं दिनांक 16 दिसंबर, 2003
दसे 4 जनवरी, 2009 तक अध्यक्ष, मध्यप्रदेश
विधानसभा रहे।
सन 2008 में चौधी बार विधानसभा सदस्य
निर्वाचित
सम्प्रति: दिनांक 7 जनवरी, 2009 से अध्यक्ष,
मध्यप्रदेश विधानसभा।

भाजपा में शोक की लहर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत बीजेपी के दिग्गज नेता आज से
नामांकन दाखिल करने जा रहे थे। इसी बीच ईश्वरदास रोहणी के
निधन की खबर आने से बीजेपी कार्यकर्ताओं, नेताओं और समर्थकों में
सन्नाटा पसर गया है। विधानसभा अध्यक्ष के रूप में जिस तरह से
ईश्वरदास रोहाणी ने अपनी छवि बनाई थी, उसके चलते सियासी
हलकों में भी मातमी माहौल है। बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज
सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र तोमर समेत राष्टÑीय पदाधिकारियों ने
रोहाणी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। वहीं कांग्रेस की ओर से
कांतिलाल भूरिया, अजय सिंह, दिग्जिवय सिंह, कमलनाथ,
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गहरा शोक व्यक्त किया है।






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