आज अचानक नज़र गई कुछ तस्वीरो पर
मेरी ही थी
पर शायद अरसे पहले की
तस्वीरे थी पर न जाने क्या बोल गई थी
तस्वीरो की बात समझ में तब आई जब
तस्वीरो के बाद सामने आइना था
सच है अब शायद में बदल गया हूँ
यह ब्लाग उन स्नेही वरिष्ठ जनों को सप्रेम समर्पित है जिन्होंने मुझे ब्लाग पत्रकार बनने प्रेरित किया, यहां आप पढ़ सकते हैं खबरें, आलोचनाएं, प्रशंसा, समसामयिकी, कविताएं भी, टोटली जो अखबार या कहीं और नहीं लिख सकता सारी भड़ास यहीं निकलेगी, आपका स्वागत है।
बुधवार, अक्टूबर 29, 2008
मंगलवार, अक्टूबर 28, 2008
बुधवार, अक्टूबर 22, 2008
चुनाव
चुने उनको जिन पर न हो अफ़सोस बाद में
चुने उनको जो बाद में हर वक्त साथ दे
मुनासिब है की आप व्यस्त हो मतदान के दिन भी
निकाले वक्त लेकिन किसी तरह वतन के वास्ते
चुने उनको जो बाद में हर वक्त साथ दे
मुनासिब है की आप व्यस्त हो मतदान के दिन भी
निकाले वक्त लेकिन किसी तरह वतन के वास्ते
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