शेष-अशेष

यह ब्लाग उन स्नेही वरिष्ठ जनों को सप्रेम समर्पित है जिन्होंने मुझे ब्लाग पत्रकार बनने प्रेरित किया, यहां आप पढ़ सकते हैं खबरें, आलोचनाएं, प्रशंसा, समसामयिकी, कविताएं भी, टोटली जो अखबार या कहीं और नहीं लिख सकता सारी भड़ास यहीं निकलेगी, आपका स्वागत है।

शनिवार, नवंबर 29, 2008

तुम क्या समझे शायर हूँ ?

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यूँही खींची चार लकीरें तुम क्या समझे ? मैं शायर हूँ। यूँही खींचे धागे दिलो के तुम क्या समझे शायर हूँ लिखने को जी चाह रहा था लिख दी बस जी भर ...
बुधवार, नवंबर 19, 2008

चुनाव जीतने जादू

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"जादू " एक एसा शब्द है जिसका नाम जुबान पर आते ही जिज्ञासा होना स्वभाविक सी बात है । लेकिन विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए जादू ......
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शनिवार, नवंबर 15, 2008

और मैंने थप्पड़ मार दिया ...........

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बात उन दिनों की है जब मई महाराष्ट्र स्कूल में क्लास ९ मैं पढता था स्कूल की गैलरी में चीप लगी हुई थी दोपहर की रीसेस हुई थी में अपने दोस्तों क...
शुक्रवार, नवंबर 14, 2008

टी आई ने कहा -गहने दिखाकर चलोगी तो लुटोगी ही न... ..........

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आज दोपहर की बात है मदन महल थाना , अरुण डेरी के पास एक महिला के गले से मोटर साइकिल सवार दो लुटेरो ने दो तोले की सोने की चैन खींच ली । रोड से ...
बुधवार, नवंबर 12, 2008

हवायें

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उस तरफ तेज हवायें है कोई कहता था वहां से लौट न पाओगे कोई कहता था आज जाना वो यकीनन सच कहता था..... एक ही बात कोई शख्स बार बार कहे ठहर के सुन ...

चलानी नही आती है तो.............

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छोटी सी घटना है लेकिन असर गहरा कर गई दरअसल रोज की तरह में जब ऑफिस जा रहा था तो अपने तीन पत्ति फुहारे पर कुछ देर को ट्राफिक जाम से दो चार होन...
शनिवार, नवंबर 08, 2008

दरिन्दे की हवस और सूना चूल्हा

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"पत्थर उबालती रही एक माँ तमाम रात बच्चे फरेब खा के चटाई पे सो गए" बहुत पहले सुनी थी ये शायरी लेकिन जब हकीकत देखी तो सच बताऊ रोंगटे...
4 टिप्‍पणियां:
रविवार, नवंबर 02, 2008

भटकाव

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इतना भटका हूँ की की मुझसे रास्ते घबराते है फिर भी मंजिल नजर नहीं आती चराग वो है जो कम से कम रौशनी तो दे महज धुए से कोई बात बन नहीं पाती
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बुधवार, अक्टूबर 29, 2008

तस्वीरे

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आज अचानक नज़र गई कुछ तस्वीरो पर मेरी ही थी पर शायद अरसे पहले की तस्वीरे थी पर न जाने क्या बोल गई थी तस्वीरो की बात समझ में तब आई जब तस्वीरो क...
मंगलवार, अक्टूबर 28, 2008

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जशने दिवाली है मनाये जूनून से पर भूले न उसे भी जो कहीं सोता हो सुकून से उन पर भी हो नजर जो दिन भर फांकों से भी लड़े उन पर भी जिनके बच्चे अब ...
बुधवार, अक्टूबर 22, 2008

चुनाव

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चुने उनको जिन पर न हो अफ़सोस बाद में चुने उनको जो बाद में हर वक्त साथ दे मुनासिब है की आप व्यस्त हो मतदान के दिन भी निकाले वक्त लेकिन किसी तर...
1 टिप्पणी:

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चलो हम भी कुछ लिख कर देखते है चलो फिर आसमा छु कर देखते है दर्द कब तक हम सिर्फ़ देखेंगे चलो महसूस कर के देखते है .........................
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