नवनिर्मित सिविल लाइन्स मंदिर में वेद मंत्रों की गंूज के बीच विराजे सांई बाबा,ज्ञानयज्ञ सप्ताह का शुभारंभ
गुरुओं के गुुरुसांई बाबा ने अपना संपूर्ण जीवन सादगी व फकीराना अंदाज में बिता दिया। अपने जीवन काल से लेकर आज तक वह अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि कर रहे हैं। वस्तुत: करूण, प्रेम और वासल्स्य जैसे गुणों ने सांई बाबा को गुरूओं का भी गुरू बना दिया। यह कहना है आचार्य सूर्यकांत देशमुख का। यह बात उन्होनें सिविल लाइन्स स्थित नवनिर्मित सांई मंदिर में गुरुवार को सांई बाबा की प्रतिमा की प्राण- प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान आयोजित धर्मसभा में कही।
महोत्सव परंपरागत ढंग से अपार श्रद्धा के बीच संपन्न हुआ। इसके अलावा विविध धार्मिक अनुष्ठानों की धूम रही। यज्ञाचार्य पं. सूर्यकांत देशमुख,सांई बाबा मंदिर पुरोहित राधेश्याम दुबे, रवि पांडेय एवं अन्य वेद पाठियों गोदाबरी माता की शिष्या माधवी ताई, जाग्रति ताई एवं साधना देशमुख के सानिध्य में सांई बाबा की प्रतिमा की स्थापना गाजे-बाजे ढोल- नगाड़े, मंजीरे और घड़ियालों की थाप वैदिक मंत्रों की गूंज एवं जय सांई बाबा के गगनभेदी जयघोष के बीच तथा भक्तिमय माहोल में धार्मिक धुनों की थाप पर नाचते गाते अपार जनसमूह के बीच पूर्ण विधि विधान एवं सांई की स्तुति गान तथा सांई मंत्रों के पाठों एवं धार्मिक अनुष्ठानों के बीच सांई बाबा को स्थापित किया गया। श्री सांई बाबा समिति के कार्यकर्ताओं में सहसा उपजी सक्रियता ने कुछ ही दिनों के भीतर सांई बाबा की प्रतिमा की स्थापना मंदिर बनाकर करेंगे। उनकी सार्थक मेहनत एवं साधना आज कार्यरूप में परिणित होगी और हमेशा के लिए सांई की भव्य प्रतिमा को यहां स्थापित कर दिया गया। शिर्डी की तर्ज पर बनी सांईबाबा की मनमोहक प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उल्लासित वृद्ध नर-नारियों का समूह हजारों की संख्या में उमड़ पड़ा। मंदिर परिसर में इन्द्रधनुषी दृश्य की झलक दिखाई पड़ी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें