''वहा कौन् है तेरा मुसफ़िर् जायेगा कहा
दम ले ले घडी भर ये छैया पायेगा कहा ''
गाइड फ़िल्म का ये गीत न जाने क्यू एक भजन सा लगता है. जहन मे इस गीत को अपने बोल देने वाले सचिन देव बर्मन को श्रद्धा से नमन करने का मन होता है. आज उन्हे याद किया भी जाना चाहिय. सचिन दा ने आज ही के दिन 1975 को दुनिया को अल्विदा कहा था. मैने न जब् से होश संभाला सचिन दा के गाने पता नही क्यू ज्यादा ही पसंद है.फिर चाहे वो '' मेरी दुनिया है मा तेरे आन्चल् मे सुख कि छाया तु गम के जन्गल् मे'' हो या फ़िर् आराधना का ''सफ़ल् होगी तेरी आराधना, काहे को रोये.'' कभी ये गीत उत्साहित कर देते हैं तो कभी कभी रिश्तो कि बात कहते है. कभी लगता है कि दरगाह शरीफ़् मे कोइ मस्त हो के सुफ़ियाना कलाम सुना रह है तो कभी मन्दिर की आरती सा लगता है उनका गीत. अमर गायक को मेरा नमन...परिचय करीब् से
एस डी बर्मन के नाम से विख्यात सचिन देव वर्मन हिन्दी और् बान्गला फिल्मो के विख्यात संगीतकार और गायक थे। उन्होंने अस्सी से भी ज़्यादा फ़िल्मों में संगीत दिया था। उनकी प्रमुख फिल्मों में मिली, अभिमान, ज्वेल् थीफ़्, गाइड, प्यासा, बन्दनी, सुजाता, टेक्सि ड्राइवर जैसी अनेक इतिहास बनाने वाली फिल्में शामिल हैं।
सितार वादन करते थे
संगीत की दुनिया में उन्होंने सितारवादन के साथ कदम रखा। कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 1932 में कलकत्ता रेडियो स्टेशन पर गायक के तौर पर अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने बाँग्ला फिल्मों तथा फिर हिंदी फिल्मों की ओर रुख किया।
संगीत की दुनिया में उन्होंने सितारवादन के साथ कदम रखा। कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 1932 में कलकत्ता रेडियो स्टेशन पर गायक के तौर पर अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने बाँग्ला फिल्मों तथा फिर हिंदी फिल्मों की ओर रुख किया।
मन के राजा थे सचिन दा
बर्मनदा के बारे में फ़िल्म इंडस्ट्री में एक बात प्रचलित थी कि वो तंग हाथ वाले थे यानी ज़्यादा खर्च नहीं करते थे । उन्हें पान खाने का बेहद शौक था और वो अपने पान भारतीय विद्या भवन, चौपाटी से मंगाते थे । वो फ़ुटबॉल के शौकीन थे । एक बार मोहन बागान की टीम हार गई तो उन्होंने गुरुदत्त से कहा कि आज वो खुशी का गीत नहीं बना सकते हैं. यदि कोई दुख का गीत बनवाना हो तो वो उसके लिए तैयार हैं । दरअसल वो जो भी काम करते थे, पूरी तल्लीनता के साथ करते थे. दादा ने संगीत नाटक अकादमी, एशिया फ़िल्म सोसायटी, फ़िल्म आराधना के लिये सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का पुरस्कार जीता. भारत सरकार ने उन्हे पद्म श्री का अवार्ड भी दिया.