रविवार, अक्टूबर 30, 2011

होमी जहांगीर भाभा का जन्मदिन आज


                    होमी जहांगीर भाभा  (३० अक्तूबर, १९०९ - २४ जनवरी, १९६६) 
भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च १९४४ में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। एलफिंस्टन कालेज रायल इंस्टीट्यूट आफ साइंस मुंबई से उन्होंने बीएससी पास किया और उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रहकर सन् १९३० में स्नातक उपाधि अर्जित की। सन् १९३४ में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
जर्मनी में उन्होंने कास्मिक किरणों पर अध्ययन और प्रयोग किए। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने १९४५ में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा. भाभा एक कुशल वैज्ञानिक और प्रतिबद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ एक समर्पित वास्तुशिल्पी, सतर्क नियोजक, एवं निपुण कार्यकारी थे। वे ललित कला व संगीत के उत्कृष्ट प्रेमी तथा लोकोपकारी थे। १९४८ में भारत सरकार द्वारा गठित परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष नियुक्त हुए।१९५३ में जेनेवा में अनुष्ठित विश्व परमाणुविक वैज्ञानिकों के महासम्मेलन में उन्होंने सभापतित्व किया। भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक का २४ जनवरी सन १९६६ को एक विमान दुर्घटना में दुखद निधन हो गया। (विकी से साभार)

10 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है ये हुई न ब्लागिंग
    बधाई..

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  2. वाकई...बेहतरीन ब्लॉगिंग का नमूना...


    नमन होमी जहांगीर भाभा को....

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  3. धन्यवाद्
    संशय मे था पर end of the day आपकी प्रतिक्रियाए देख् राहत की सास ली, कृपया इसी तरह मार्गदर्शन देते रहे

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  4. bhai
    समीर जी भी आ गये यहां तो अब
    आप छा गए समझिये

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  5. नितिन भाई तो छाये हुए हैं ही!! :) अनेक शुभकामनायें..

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  6. समीर दादा नितिन भाई भास्कर में हैं

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  7. आभार विद्वद्जनो
    बिनु हरि कृपा मिलहि नहि संत
    तुलसीदास जी कि बात सच लग रही है इश्वर् कि कृपा है कि आप जैसे सन्तो के संदेश मिल रहे हैं अध्बुद आत्मिक सुख मिला जिसकी अभिव्यक्ति शब्दो से नही कर पा रह हू। बस सदा आशीर्वाद बनाये रखे।

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