राजगढ़(नरसिंहपुर)। एक तरफ वैक्सीन की तंगी, कोरोना के उपचार में रेमडेसिविर और अन्य दवाओं का अभाव, म्युकरमायोसिस के बढ़ते प्रकरण और इनकी भी दवाईयों का अभाव है तो दूसरी तरफ वैक्सीन की तंगी के साथ केंद्र और राज्य सरकार की लचर कार्यशैली। नरसिंहपुर के राजगढ़ में जो हुआ उस पर ग्रामीणों को नहीं बल्कि जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों को शर्मसार होने की जरूरत है। अब दवाईयां और वैक्सीन के अभाव में जनता अपने बचाव में कुछ तो करेगी ही। ताली, थाली, शंख बजाने, गौमूत्र के सेवन, गोबर से स्नान और हवन पूजन और गो कोरोना गीत के माध्यम से कोरोना को भगाने के असफल प्रयासों की अपार विफलता के बाद राजगढ़ में कोरोना से खुद को बचाने कथित पवित्र जल चर्चाओं में है।
बांटा जा रहा था पवित्र जल
एक तरफ वे लोग है जो रोज ही वैक्सीन के लिए स्लॉट बुक करने की कवायद में जुटे रहते हैं, असफल होने पर फिर नए सिरे से प्रयास में जुट जाते हैं। अस्पताल में अपने परिजनों को बचाने दवाईयों की किसी भी कीमत पर जुटा लेने की कवायद में परिजन जूझ रहे हैं और दूसरी तरफ राजगढ़ में बीमारी या आपदा में अवसर तलाशने पवित्र जल बांटा जा रहा है। जहाँ आस्था के नाम पर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाता ऐसा जनसमूह एकत्रित हुआ कि कानून व्यवस्था को बनाने वालों को नाको चने चबाने जैसी स्थिति बन जाए।
अब आज के दौर में जब लोग चिकित्सा विज्ञान के सहारे अपने जीवन को सुरक्षित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं तब यदि शीर्ष पदों पर बैठे व्यक्ति ताली, थाली बजवाएं और कभी गोमूत्र कभी गोबर से उपचार के तर्क दें तो कभी गो कोरोना गीत गाएं तो आम नागरिक धर्म और आस्था के नाम पर क्यों न जाए। इसे नासमझी कहें या अंध श्रद्धा तथाकथित पवित्र जल पा कर खुद को कोरोना से बचाने सैकड़ों की तादाद में लोगों की अब भी एकत्रित हो रहे हैं।
उमड़ पड़ा पूरा गांव
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिला में जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम चाटूखेड़ा में अनलॉक के पहले ही दिन मंगलवार को अंधविश्वास का वो मंजर दिखाई दिया कि जो ताली, थाली, गोमूत्र और गोबर चिकित्सा में भी नजर नहीं आया। कोरोना गाइडलाइन को दरकिनार कर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण कोरोना से खुद को बचाने पवित्र जल लेने उमड़ पड़े।
महिलाओं में आईं कथित देव परियां
प्रत्यक्षदर्शियों और ग्रामीणों की मानें तो मंगलवार को चाटूखेड़ा मंदिर परिसर में सुबह करीब 11-12 बजे गांव की दो महिलाओं के शरीर में कथित देव परियों के आने से बड़ी संख्या में वहां भीड़ जमा हो गई। देखते ही देखते सैकड़ों महिला-पुरुष मंदिर परिसर के बाहरजमा हो गए। जानकारी के अनुसार इन कथित परियों ने ग्रामीणों के ऊपर पानी छिड़क कर इन्हें मंदिर का जल पीने को कहा। ग्रामीणों से कहा- यह जल पी लो, किसी को कोरोना वायरस छू भी नहीं सकेगा। जिन्हें कोरोना है, वह ठीक हो जाएंगे। उन्हें दोबारा कभी नहीं होगा।
जंगल की आग की तरह फैली खबर
देखते ही देखते यह खबर कस्बे समेत आसपास के गांव में फैल गई। दोपहर को वहां भीड़ जमा हो गई। इसे लापरवाही कहें या अंधविश्वास, लेकिन भीड़ को देखते हुए लगता है, इन्हें कोरोना का कतई डर नहीं है। यहां लोगों ने जल पीने के दौरान न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और ना ही भीड़ में मास्क लगाया।
इस खबर के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भी मंगलवार को देर शाम तक यहां स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन की टीम नहीं पहुंची। न ही अभी तक कार्रवाई की गई है।