मंगलवार, मई 25, 2021

पारुल बेन जिंदाबाद

 


उस दौर में जब अच्छा लिखने वाले बोलने वाले 'रंगा- बिल्ला' और उनके कुत्तों की दहशत में या तो राग दरबारी गा रहे हैं या फिर चारणभाट बने हुए है। ऐसे में माँ गंगा की व्यथा को माँ सरस्वती की कृपा से कहने का सामथ्र्य जुटाने वाली मातृ शक्ति गुजरात में जन्मी भारत की बेटी कवियित्रि पारुल खक्कर जी को ह्रदय से कोटि-कोटि नमन करता हूँ।

आपने अपनी विश्वस्तरीय रचना 'नंगा साहेब' में वर्तमान में दम तोड़ती व्यवस्थाओं और इसके लिए जिम्मेदार 'रंगा-बिल्ला' को कुछ इस तरह बेनकाब किया की भक्त नाली के कीड़ों की तरह बिलबिला उठे। आप इसी तरह लिखते रहें इसी शुभकामना के साथ पुन: एक बार
पारुल बेन जिंदाबाद



  







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें