बिल्कुल किसी दिल फैंक हसीना की तरह है
कमबख्त जिन्दगी है कि हाथ छोड़ती नही
कोशिश जरूर की पर अब लगने लगा मुश्किल
बेडिया है ये समाज की कि टूटती नही
बहुत देख चुके है और अब नहीं ख्वाहिश
चेहरे वही है पुराने कोई बदला कही नही
अब साथ में जो है तो कमबख्त यही है अच्छी
अब "जिन्दगी" है मेरी कोई और तो नहीं
nitin ji main aapko aapki aik achhi kavita k lie badhai dena chaunga.
जवाब देंहटाएंagar kabhi waqt mile to mere blog par b aayen.
www.salaamzindadili.blogspot.com
sundar bhav...sundar rachna.
जवाब देंहटाएंbadhai.
है मेरी माटी की भीनी खुशबू
जवाब देंहटाएंमेरे शहर की शिलाए कोमल
जो इस को पाए वो इसको गाए
इधर का मंजर न होता ओझल
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न भूल पाया हूँ तंग गलियाँ
जहां है चौड़े दिलों के आँगन
जहाँ सभी को सभी ने जाना
शहर जबलपुर विशाल दरपन